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Friday, March 22, 2013

काश हम भी मोबाईल होते..! (गीत)


(Google Images)

काश   हम   भी   मोबाईल    होते..! (गीत)



जलते   हैं    भीतर,  काश   हम   भी   मोबाईल    होते..!

उनके   करीब  रह   कर  हम, कितने   वर्सटाईल   होते? 

(versatile=वर्सटाईल= हरफ़न मौला,सर्वगुणसंपन्न)


अंतरा-१.


जब   वो, प्यार से  अपलक  देखते, दिल के  स्क्रीन  को..!

ओ..ह, इस अदा  पर  हम, जहान से  भी  हॉस्टईल  होते..!

जलते     हैं     भीतर,  काश   हम   भी   मोबाईल    होते..!

(अपलक देखना= ताकना; Hostile= हॉस्टाईल = आक्रामक,दुश्मन )


अंतरा-२.


उनके  निपट  पास   जाकर   हम,  गालों    को   सहलाते..!

ज़ुल्फ़ों  की   ख़ुशबू  से खेल, फिर गुडी-गुडाई  फिल  होते । 

जलते      हैं     भीतर,  काश    हम   भी    मोबाईल   होते..!


(निपट=  पूरी तरह से; नाज़= गर्व) 
(Goody-Gooday feel= गुडी-गुडाई  फिल = मधुर अपनापन का 
अहसास)


अंतरा-३. 


दिनभर  नर्म  हाथों  पर  और  रात  उनके  सिरहनों  पर ।

पास  रखती  तो, अपुन  के  भी  नवाबी   ईस्टाईल  होते..!

जलते     हैं    भीतर,  काश   हम   भी   मोबाईल    होते..!

( style=ईस्टाईल= ढंग, तरीक़ा; सिरहन= तकिये  के  पास)


अंतरा-४.


दिल का  सिम जवान  रहता, प्यार का पावर ऑन  रहता ।

दुःख है मगर, काश कि हम, इश्क के  आईन्स्टाईन  होते..!

जलते     हैं   भीतर,  काश    हम    भी    मोबाईल    होते..!


(दिल का सिम= SIM CARD; आईन्स्टाईन= निष्णात संशोधक)


मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१-०९-२०१२.


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